सावधान रहना साथी
मौसम से बहुत सावधान रहना
वह ठीक से अपना पता नहीं देता
हवाएँ कभी कुछ नहीं बताती
तुम देखते हो पेड़ों पर पत्तों को फड़फड़ाते हुए
हिलते हुए और बाहर आ जाते हो सड़क पर
अच्छी लगती है भीगी हवा
दूर कहीं बरसात हो रही होती है
तुम्हारे भीतर उतरती है हवा
दिन भर की थकान और ताप को सोखती हुई
तुम नहीं जानते कि इसी हवा में
एक तूफान भी होता है छिपा हुआ
जो किसी भी समय तुम्हारे परखचे उड़ा सकता है
पेड़ को जड़ों से उखाड़ कर
फेंक सकता है तुम्हारे सिर पर
तुम्हारे घर की छत को चकनाचूर कर सकता है
नरम तने की तरह मोड़ कर
उछाल सकता है दीवारों में लगे लोहे
नहीं बताती हवा किस क्षण
वह आँधी में बदलेगी और किस क्षण तूफान में
सावधान रहना साथी समुद्र से
वह कभी नहीं बताता उसके हृदय में कितना लावा है
कितने पहाड़ धधक रहे हैं उसके भीतर
उसका सीना चीरकर आसमान की ओर उठने के लिए
जानता हूँ तुम्हें तट पर घूमना बहुत पसंद है
सागर तुम्हारे भीतर बसता है
अपनी लहरों, मूँगों, मछलियों और चट्टानों के साथ
कई बार उसके सीने पर उठती लहरों को छूकर
लहर बन जाता है तुम्हारा मन
नावें लेकर मछलियाँ पकड़ना चाहते हो तुम
तुम नहीं जानते कब उसकी उद्दाम लहरें
फूँकार भरती बढ़ेंगी तुम्हारी ओर
और रेत पर पड़े तिनकों की तरह तुम्हें निगल लेंगी
तुम्हारे ऊपर पटक देंगी कोई चट्टान
एक क्षण में तुम्हें इतिहास के किसी अतल-असित
गह्वर में दफ्न कर देंगी जीवाश्म की शक्ल में
नहीं बताता सागर कि वह कितना गहरा है
उसके भीतर कितनी उत्ताल तरंगे हैं
तट के ऊपर धावा बोलने को बेचैन
सावधान रहना साथी
पहाड़ों की यात्रा करते हुए
माना कि बर्फ से ढँकी चोटियाँ बरबस खींचती है अपनी ओर
सुबह की धूप में जलते हिमाच्दछादित शिखर
रोम-रोम में भर देते हैं मोहक शीतल लपट
माना कि पहाड़ों के आँगन में खिले फूल
सम्मोहित करते हैं अपने रूप गंध से
पहाड़ों पर बादल भी बतियाते हैं पास आकर
उड़ने लगता है मन उनके साथ
सफेदी में घुलकर खो जाते हो तुम
जब भी होते हो पहाड़ पर
लेकिन भनक तक नहीं लगती दोस्त
पता नहीं चलता कि किस पल
दरकने वाली है तुम्हारे पांव के नीचे की चट्टान
किस पल खिसकने वाली है आँखों में जमी बर्फ
किस चोटी के पीछे जमा हो रहा है पानी
पहाड़ छिपाये रखता है अपने भीतर
चहचहाती घाटियों को डुबो देने वाली साजिशें
पहाड़ से सावधान रहना
वह कभी भी रेत, कीचड़ और सैलाब में बदल सकता है
सावधान रहना अपने हाथों से
तुम्हें अपनी मुट्ठी पर बहुत भरोसा है
जब चाहते हो भिंच जाती है
कभी भी जरूरत पड़ने पर
ललकार में बदल जाती है
हवा में तन जाती है
अनगिनत मुट्ठियों में बदल जाती है
मानो या न मानो पर कभी भी
एक हाथ इनकार कर सकता है
दूसरे हाथ के साथ लहराने से
तनने से, मुट्ठियों में बदलने से
सावधान रहना
जब कोई भी साथ न हो
जब लालच के बवंडर मंडरा रहे हों
जब पाखंड के चक्रवात घुमड़ रहे हों
चाहे जितने खराब मौसम से सामना हो
सावधान रहना दोस्त
ताकि लड़ते हुए भी
बने रह सको मनुष्य
मनुष्य की तरह मरकर भी
झूठ के खिलाफ लड़ते रहोगे
भविष्य के हर युद्ध में खड़े मिलोगे
योनि हो तो माँ हो
तुमने जब-जब मुझे छुआ है
मैं धंस गया हूँ अपने ही भीतर
तुम्हारी ऊँगलियों को अपने
हृदय पर महसूस करते हुए
तुम्हारे पास आते ही मैं
मुक्त हो जाता हूँ नसों में
दौड़ते हुए सारे विष बवंडर से
तुमने जब भी मेरे सिर पर हाथ फेरा
मेरे रोम-रोम में उग आई हो
सहस्त्र योनियों की तरह
मुझे हर तरफ से निगलती हुई
तुम्हारे भीतर होकर
बहुत सुरक्षित महसूस करता हूँ मैं
अपने होने को तुम्हारे होने में
विलीन होते देखता हुआ
तुम्हारा स्पर्श तत्क्षण
बदल कर रख देता है मुझे
स्त्री ही हो जाता हूँ
तुम्हारे पास होकर मैं
बहने लगती हो मेरे भीतर
पिघलने लगता हूँ मैं
तुम्हारे साथ बहने के लिए
पुरुष की अपेक्षा से परे
योनि हो तो माँ हो
योनि हो तो सर्जना हो
योनि हो तो वात्सल्य हो
योनि हो तो धारयित्री हो
ब्रह्मांड में बिखरे समस्त बीजों की
मैं पाना चाहता हूँ तुम्हें
तुम्हारी अनाहत ऊष्मा के साथ
न होकर भी होना चाहता हूँ
तुम्हारे अजस्र विस्तार में
और इस तरह समस्त संसार में